Monday, July 6, 2009

कुछ तो हुआ है.

आज मै bajat का इंतजार कर रहा था। सोच रहा था बजट कैसा होगा? बजट आया जैसा की सोच रखा था बिहार को घंटा दिया गया जिस की uम्मिद था। सच तो ये है की कोसी को ले के जो हाहाकार मचा ओ लाजमी था, लोग मर थे, घर डूब रहे थे, कोशी सरे ज़मीन को nइगल रही थे। टीवी पे पत्रकार jआन की बजी लगा रहे थे और मुंबई के लोगो को इसमे एक रियलिटी शो वाला मजा आ रहा था।
मनमोहन जी को उससमय ये रास्ट्रीय अप्पदा लगा था पर अब ऐसा नही है। अब आएला कोसी की जगह ले ले है। ( बिहार के लोगो को ये समझाना होगा ये है कांग्रेस की पॉलिसी) । बिहार को बाट दिया गया और जो वादे थे वो वादे ही रहा गए, हर साल बढ़ आती है अपने साथ लाखो घर तबाह कर देती है। इसके बात बाद जो होता है ओ सब जानते है। काश उस त्रास्ह्दी का थोड़ा सा यहासस सोनिया जी को भी होता!
बजट का सबसे अच्छा पहलू बियो- मत्रिक्स कार्ड का होना है। आज़ादी के ६० साल के बाद ही सही हम गरीब को गरीब तो मान रहे है। ये कार्ड भारत के इतेहस में मिल का पत्थर साबित होगा। आमिर-गरीब, क्या मिला, कितना मिला, किसको क्या जरूरत है इन सब पर नज़र राखी जा सकती है।
एजूकेशन में रेफोर्म भी सरकार की अची कदम है।

Friday, May 29, 2009

ये तो प्रजातंत्र है

आज का मंत्रिमंडल विस्तार देख कर लगा की क्या आज भी हम गुलाम देश में रहते है? समय बदला पर उनलोगों ढ सत्ता नही बदली जो आज़ादी के बाद अब तक गरीबो के नाम पर करोरेपति बनते रहे है।
क्या राहुल गाँधी जानते है की दो वकुत की बूख क्या होती है? जानने का दिखावा तो कर सकते है पर जानते नही। कभी-कभी मन न लगे तो रूलर पर्यटन कर लेते है।
देश को एक बार फिर गुलाम होना है और हो रहा है और इसबार mई नरो में नही फसने वाला मौका मिला तो dएश को लूट लो । राम नाम की की लूट है लूट सके तो लूट।
इस आज़ादी का क्या फायदा जिसमे ६०% जनता आज़ादी के ५० साल बाद भी गरीबी रेखा के नेचे है और लोग अपने बेटा को सिर्फ़ पम बनने की तैयार में लगे हो। एक भी नेता इन लोगो के बाच में से क्यो नही अत्ता?
ऐसे प्रजातंत्र को दूर से ही सालम।
आज कल टीवी पर यूवा लोगो की खूब बाते हो रही है, पर उन यूवा लोगो में कितने ऐसे है जिन्हें जीवन में संघर्ष करना पारा हो दो roti ke liye. sare ke sare ko राजनीती विरासत में मिली है। संघर्ष क्या होता है शयद ही इन्हे पता हो। इनका संघर्ष सिर्फ़ इगो की लडाई है।
ऐसे प्रजातंत्र को दूर ही से राम-राम।

Thursday, May 28, 2009

बाय बाय बिहार

हमें तो अपनों ने लूटा गिरो में कहा दम था, मेरी कसती थी डूबी वह जहा पानी कम था। कितना सही लगता है बिहार के सन्दर्व में, आज मंत्रिमडल में मीरा कुमार और सुबोध कान्त सही को छोड़ कर कोई भी बिहार का प्रतनिधि नही है। क्या इससे बिहार के विकाश पर कोई प्रभाव नही परेगा? हमारा यही चरित्र है, जो हमें बिहार में फीसदी और बिहार के बाहर अवाल बनता है। हमारेयही सोच और मानसिकता हमें पीछे धकेल रही है। हम दूरदर्शी नही है, पिचले २० साल से बिहार में हमेश केन्द्र विरोधी पार्टी सत्ता में रही है और विकाश पिचार्ता रहा है। लालू और नीतिश ने कुछ हद तक इसे ठीक करने की कोशिश की है पैर ओ नाकाफी है। हमारे बिहारी पत्रकार (अब डेल्ही वाले या नेशनल पत्रकार कहे) भी इस मानसिकता में चार चाँद लगाये है। वास्तव में हम बिहारी इतने तेज़ होते है की हम कालिदास को भी पीछे चोर देते है(जिस पैर पैर बैठते है उसे की काट देते है)। खैर अब साधना चैनल, सहारा समय जिसे न्यूज़ चैनल को न्यूज़ कोल्लेक्ट करने की जरूरत नही है ओ भी लाफ्टर शो देखा कर टाइम पास कर सकते है। देखना ये भी है की नीतिश jइ को केन्द्र सरकार से कितना धन प्राप्त कर सकते है। aभी तक तो केन्द्र की बेरुखी का बहाना चलता रहा है।
अब देखना है की रघुवश बाबु & लालू ने बिहार को फंड दिलवाने में मदद की थी की नही? और नीतिश जी इस बार अपने बल पे कितना फंड लेट है। उन प्रोजेक्टों का क्या होगा जो लालू, रघुवंश जी ने शुरू की। या बिहारी एक बार फिर ठगा जाएगा इस टीवी प्रोपंगादा यूध में । आखिर विकास के लिए फंड तो चाहिए न? भाषण से विकाश तो नही होता उसके लिए रुपया चाहिए।

Monday, May 25, 2009

बिहार का महादलित

आज कल बिहार में एक शब्द की पुर्नाविरती बार-बार हो रही है " महादलित " । वास्तव में ये महा दलित कौन है । मई यहाँ असपस्त करना चाहता हु की दलित या महा दलित शब्द mउझे पसंद नही। वास्तव में महा दलित शब्द नीतिश देन है परन्तु खेद इसबात का का है की जो अच्छी काम महादलित नाम पे हो रहा है क्या उससे हमारे समाज में विघिटन नही आएगी ? लालू को हटाने के लिए जो ये हत्कंदा नीतिश जी इस्तमाल कर रहे है उसका शिकार फिर हमारा समाज न बन जाए। ये सुच है की बिहार में जातिवाद है और इसके लिए लालू से कही जादा यहाँ के सवर्ण समाज जिमेदार है। इस समाज को ये समझना होगा की बिना दलितों के उत्थान के आप देवेलोपेद देश का प्रोपोगेन्डा तो कर सकते हो पर वास्तव में आप बन नही सकते। हमें इन्हे भी सत्ता के साथ-साथ सभी जगह इनहे हिस्सेदारी देनी होगी। बिहार में सवर्ण समाज बहुत ही संकीर्ण सोच रखता है। हमें गुजरात जैसे राज्य से ये सीखना चाहिए की कैसे एक दुसरे के साथ मिलकर आर्थिक करांति लिए जा सकती है। मई ये बात इस बोलग पे नही बताना चाहता हु पर लिख रहा हु ये सोच कर की शयद इसे पढ़ने के बद्द यदि एक आदमी के सोच में भी परिवर्तन होता है तो .........
मई अपने गहर में बैठा था , मेरे माताजी और पिताजी दोनों बहार गए हुए थे , तभी एक ब्राहमण मेरे घर में आया और बोला पानी मिलेगा। मई पाने देने को घर के अंदर गया और पानी लेके आया , पानी पिने से पहेले बाबा ने मुझसे पुचा बेटा तुम्हारा जात क्या है ?
यदि इस सोच से हम बहार नही आते तो हमें लालू, मुलायम, माया को ग़लत कहने का कोई हक नही बनता। विचारो का दोगलापन तो हमारे आस पास है और हम इसे दुशारो में धुन्द्ते है। जिस दिन हम झूटे अहम् को मार कर साचा बिहार के बारे में सोचने लगेंगे उस दिन बिहार आगे जाएगा। रास्ता aपपने चुनना है क्यो की ९०% संसाधन का दोहन अपने किया है इस लिए सुरुआत अप्पने ही करने है।

Sunday, May 17, 2009

मार्केटिंग की जीत

इस इलेक्शन की सबसे बड़ी जीत यह है की जयादा तर क्रिमिनल चुनाव हर गए। कांग्रेस की विजय हुई, ये भी अच्छा हुआ। पर ये सोचना भी यहाँ जरूरी है की बीजेपी क्यों हारी ? बीजेपी के नेताओ को प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए सुनाने पर लगता था जैसे ये अपने आपको ज्ञानी और बाकि देश की जनता को मुरख समझती हो। हम जनता आज भी जसवंत सिन्हा (फाइनेंस मिनिस्टर) के रेफोर्म्स को नही भूले है। उनके देये हुए घाव आज भी तेश मरते है।
चुकी मै बिहार का हु तो कुछ बाते बिहार की ............
लालू हर तो गए है और ये होना भी था। लालू के नाम पर यादवो ने बिहार में बहुत उत्पात मचाया। पर नीतिश ने रिजल्ट के पहेले जो ठिठोली प्राइम मिनिस्टर के साथ की उसका मजा आने वाले समय में बिहार भुगते गा। वर्ल्ड बैंक ने तो पैसा देने पर रोक लगा दिया ही है, एडी केन्द्र सरकार ने भी हाथ खेच लिया तो सुसान बाबु का क्या होगा?
एक sach और लालू ky राज के सरे chor तो अब नीतिश के साथ आज गए है तो क्या हमारी ladai सिर्फ़ लालू के साथ थी इन choro के साथ नही?
ये वही रंजन yadav है jinhe BPSC में ( Prof। Ghotala) के bad लालू ने हटाया था।
बिहार में कांग्रेस neta लोगो को भी सोच के बोलना चाहिए । 5 years जयादा नही होते।
आज का such यही है की बिहार का कोई neta केन्द्र सरकार में नही है। क्या होगा बिहार के power प्रोजेक्ट का, Rail प्रोजेक्ट का, ...etc।
बहुत मजा मर लिए हम bihari अब जरा देखे कांग्रेस इन pach sall में बिहार को क्या देती है?

Friday, May 15, 2009

रविश जी अपने देखा nइतिश जी ने क्या कहा ?
नीतिश जी को पता नही बिहार की जनता जयादा भाव मारने वाले को जल्द ही सबक सिखा देती है।
बिहार विधान सभा का चुनाव अनी दीजिये ।

Saturday, May 9, 2009

RAHUL BABA Ki JAI HO

आज मै रविश जी के ब्लोअग पर था ओ़हा यूवराज राहुल के बारे में जाना, फिर मै सोचा १०० करोर की अवादी वाला देश ओ भी प्रजातंत्र देश और फिर यूवराज ..........सब राजमाता की देन है और फिर जिस पार्टी में अर्जुन सिंह, रेणुका चौधेरी, राजीव शुकुल (पत्रकार) , चमचे हो उस पार्टी की जय तो होनी ही है। न दी टी वी को भी मुबारक कांग्रस का मुखपत्र बन्ने के लिए ।

मोरल ऑफ़ डी ब्लॉग
अच्छी जगह jअनाम होनी चहिये, हिंदुस्तान में एक मात्र सच्ची प्रजंत्र है ......................राज माता की जय हो
चमचो की जय हो, काम् न करने वालो की जय हो,