Thursday, May 28, 2009

बाय बाय बिहार

हमें तो अपनों ने लूटा गिरो में कहा दम था, मेरी कसती थी डूबी वह जहा पानी कम था। कितना सही लगता है बिहार के सन्दर्व में, आज मंत्रिमडल में मीरा कुमार और सुबोध कान्त सही को छोड़ कर कोई भी बिहार का प्रतनिधि नही है। क्या इससे बिहार के विकाश पर कोई प्रभाव नही परेगा? हमारा यही चरित्र है, जो हमें बिहार में फीसदी और बिहार के बाहर अवाल बनता है। हमारेयही सोच और मानसिकता हमें पीछे धकेल रही है। हम दूरदर्शी नही है, पिचले २० साल से बिहार में हमेश केन्द्र विरोधी पार्टी सत्ता में रही है और विकाश पिचार्ता रहा है। लालू और नीतिश ने कुछ हद तक इसे ठीक करने की कोशिश की है पैर ओ नाकाफी है। हमारे बिहारी पत्रकार (अब डेल्ही वाले या नेशनल पत्रकार कहे) भी इस मानसिकता में चार चाँद लगाये है। वास्तव में हम बिहारी इतने तेज़ होते है की हम कालिदास को भी पीछे चोर देते है(जिस पैर पैर बैठते है उसे की काट देते है)। खैर अब साधना चैनल, सहारा समय जिसे न्यूज़ चैनल को न्यूज़ कोल्लेक्ट करने की जरूरत नही है ओ भी लाफ्टर शो देखा कर टाइम पास कर सकते है। देखना ये भी है की नीतिश jइ को केन्द्र सरकार से कितना धन प्राप्त कर सकते है। aभी तक तो केन्द्र की बेरुखी का बहाना चलता रहा है।
अब देखना है की रघुवश बाबु & लालू ने बिहार को फंड दिलवाने में मदद की थी की नही? और नीतिश जी इस बार अपने बल पे कितना फंड लेट है। उन प्रोजेक्टों का क्या होगा जो लालू, रघुवंश जी ने शुरू की। या बिहारी एक बार फिर ठगा जाएगा इस टीवी प्रोपंगादा यूध में । आखिर विकास के लिए फंड तो चाहिए न? भाषण से विकाश तो नही होता उसके लिए रुपया चाहिए।

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